रात काफी हो चुकी थी, पार्टी से वापस लौटते वक़्त राशि थकान की वजह से चुप थी, रोहन कार ड्राइव कर रहा था। उसके स्कूल फ्रेंड्स ने आज एक पार्टी रखी थी जिसमे उनके ग्रुप के कुछ करीबी दोस्त आये थे। रोहन अपने साथ राशि को भी लेकर गया था, शादी के बाद ये पहली बार था जब राशि रोहन के स्कूल फ्रेंड्स से मिल रही थी, उनके अलावा मनोज, स्नेहा, ऋषभ, ईशान, अभिषेक, नेहा, अवनि और मीनल भी अपने-अपने पार्टनर्स के साथ पार्टी में थे। डिनर ख़त्म करके सब अपने-अपने घरों के लिए निकल गए।
“तुम्हे अच्छा लगा न सबसे मिलकर? अभिषेक और मनोज की पुरानी आदत है सबकी टांग खींचने की, स्कूल टाइम से ही ऐसे हैं ये दोनों और इनके साथ मिलकर ये अवनि और पूजा तो हुड़दंग मचा दिया करते थे क्लास में” – रोहन ने राशि को बताया,
“हाँ वो तो दिख रहा था” – राशि ने विंडो से बाहर की तरफ देखते हुए कहा और सीट पर सर को टिकाकर बाहर चलते पेड़ों को देखते हुए उसने म्यूज़िक का वॉल्यूम बढाया। उसका फेवरेट सॉन्ग बज रहा था – “आप यूँ फ़ासलों से गुज़रते रहे, दिल से कदमो की आवाज़ आती रही..”
रोहन को भी ये सॉन्ग बेहद पसंद है, उसकी पुरानी आदत है साथ-साथ गुनगुनाने की, शादी से पहले अक्सर राशि उससे डिमांड किया करती थी की रोहन उसे कुछ गा कर सुनाए, लेकिन रोहन जानता था की वो बहुत बुरा गाता है लेकिन फिर भी राशि के लिए अक्सर वो उसके पसंदीदा गीत सुनाया करता था और राशि भी उसके साथ गाया करती थी।
“मत गाओ न रोहन, सुनने दो” – राशि ने रोहन से कहा,
रोहन को कुछ अटपटा-सा लगा क्यूंकि आज से पहले कभी भी राशि ने रोहन को ऐसे चुप रहने को नहीं कहा, वो तो उल्टा उसको गाने के लिए कहा करती थी फिर आज क्या हुआ राशि को।
“फिर से मूड स्विंग? आइस क्रीम खाओगी?” – रोहन ने मज़ाकिया लहज़े में राशि से पूछा
“नहीं, घर चलते हैं न...मेरा सर दुख रहा है.. रियली नीड टू स्लीप” – राशि ने जवाब दिया
“ठीक है” – रोहन ने कहा और फिर राशि बाहर पेड़ों की क़तार देखने लगी जो उनके साथ साथ चल रहे थे और लता जी की मधुर आवाज़ में वो गीत अब भी बज रहा था।
कुछ देर बाद वो घर पहुंचे। रोहन ने कार पार्क कर रहा था राशि ऊपर रूम में चली गयी, रोहन जब ऊपर पहुंचा तो उसने देखा लाइट्स ऑफ हैं और राशि बैडरूम में जाकर सो गयी है। उसने शूज़ को शू-रैक में रखा और बाथ लेने के लिए चला गया। वो जब लौटकर आया तो उसने देखा की ड्राइंग रूम में सोफे पर एक ब्लैंकेट, पिलो और एक वॉटर बोतल रखी है और बैडरूम का डोर अंदर से लॉक है।
“हैं?? अब मैंने क्या किया?” – रोहन ने आईने में देखते हुए सोचा और खुदसे कहा,
ऐसा अक्सर उनकी शादी से पहले भी होता था जब-जब राशि किसी बात से नाराज़ होती थी, वो अलग बात है की उसका रूठना प्यार-भरा होता था, जिसकी वजह से अक्सर रोहन की जगह कोई न कोई सोफा ही हुआ करता था। लेकिन रोहन को अभी कुछ भी समझ नहीं आया की आखिर वजह क्या है। उसने आज और पिछले 2 दिन में हुई सब बाते रिवाइंड करके सोचा लेकिन अब भी उसको समझ नहीं आया।
“कहीं आज पार्टी में तो कुछ नहीं हुआ जो बुरा लगा हो राशि को…शायद मनोज, अभिषेक या ऋषभ की कोई बात? पर वहां तो सब ठीक था फिर....एक काम करता हूँ पूछ्ता हूँ उन्हें कॉल करके…नहीं, वरना वो क्या सोचेंगे और फिर गॉसिप होने लगेगी” – रोहन ने सोचते हुए खुदसे कहा,
उसने बैडरूम डोर नॉक किया लेकिन राशि ने कोई जवाब नहीं दिया, फिर रोहन समझ गया की शायद कुछ तो ऐसा हुआ है जिससे राशि इतना गुस्सा है, लेकिन वो बहुत अच्छे से जानता है की राशि का गुस्सा सिर्फ कुछ घंटो का होता है, और फिर राशि खुदसे रोहन से बात करती है। राशि हमेशा से एक बहुत सुलझी हुई, रिश्तों को समझने वाली एक मनचली-सी लड़की रही है यही वजह भी रोहन उसे इतना चाहता है, हां वो अलग बात है की राशि उसे खुदसे ज्यादा प्यार करती है, उसकी पूरी ज़िन्दगी रोहन के इर्द-गिर्द घूमती है और दोनों एक दूसरे को बेहद अच्छे से समझते हैं।
रोहन को नींद नहीं आ रही थी, हैंडफोन अंदर रह जाने की वजह से उसने धीमी आवाज़ पर मोबाइल पर सॉन्ग प्ले किये। वैसे तो जब रोहन को नींद नहीं आती है तो राशि उसके बालों में हाथ में फिराते हुए उसको सुलाती है, कई बार रोहन जानबूझकर नींद न आने का बहाना भी किया करता है, लेकिन जब राशि नहीं होती है तो ये नए-पुराने गीत ही उसको सोने में उसकी मदद करते हैं।
रफी साहब का गीत बज रहा था “कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की, बहुत खूबसूरत मगर सांवली सी..” – गीत को सुनते-सुनते रोहन सोच ही रहा था की तभी रोहन के मोबाइल पर एक मैसेज़ आता है -
“वॉल्यूम कम करोगे रोहन? मैं सो नहीं पा रही हूँ”
रोहन ने मैसेज़ का रिप्लाई किया तो देखा राशि ऑफलाइन हो गयी, राशि के इस बर्ताव से वो समझ गया था की कुछ बात ज़रूर है जो उसे बहुत बुरी लगी है, वो चाहता था की अभी बात करे लेकिन रिश्तों की डोर को अगर ज़्यादा खींचा जाए तो उनमें बल पड़ जाते हैं, ये समझ राशि और रोहन दोनों में थी इसीलिए प्यार के असली मायनों को आधार मानकर उन्होंने रिश्ते हो गढ़ा और निभाया है हमेशा से, सोचते हुए फिर रोहन भी सो गया।
सुबह हुई तो राशि नहाने के बाद बालकनी में अपने बाल सुखा रही थी तभी रोहन की आँख खुली और उसने मुस्कुराते हुए राशि को देखा, खुले भीगे हुए लंबे बाल, कानों की बालियों को ढकती वो लटें और बिना सुर्खी लगाए होंठ..रोहन ने राशि को मुस्कुराहट भरे लहज़े में 'गुड़ मोर्निंग' विश किया,
राशि ने कुछ जवाब नहीं दिया और वापस अंदर रूम में चली गयी, रोहन भी उसके पीछे रूम में गया
'देखो राशि पहले तो मुझे ये नहीं मालूम है की आखिर बात क्या है और दूसरा ये की जब हमने डिसाइड किया था की कुछ भी हो जाये अगली सुबह हम दोनों ही सबकुछ भूल जायेंगे और बैठ कर बात करेंगे, पर नहीं... तुमने मेरे गुड मॉर्निंग तक को इग्नोर कर दिया, ये तो बिलकुल एक्सपेक्ट नहीं किया था मैने' - रोहन ने अपना गुस्सा ज़ाहिर करते हुए राशि से कहा,
राशि ने बड़ी शान्ति से रोहन की तरफ देखा और कुछ पल देखने के बाद बड़ी शालीनता से कहा -
"रोहन तुम मुझे न ये बिना मतलब का गुस्सा दिखाकर मुझसे बात करने की कोशिश तो करो मत"
रोहन ये सुनते ही हंसने को हुआ ही था की उसने हंसी रोक ली और राशि से बोला - "लेकिन बात तो बताओगी हुआ क्या है आखिर?"
"तुम्हे सच में नहीं मालूम न, सच में?" - राशि ने रोहन को गुस्से से देखा और कहा,
"अरे बाबा मुझे भला कैसे पता होगा, सबकुछ तो ठीक था कल, अच्छे से आये हैं हम फिर क्या हुआ कुछ भी तो नहीं हुआ, किसी ने कुछ कहा क्या?" - रोहन ने कहा
"रोहन कुछ नहीं सच में, बस यूँही... मैं... मैं बस ऐसे ही सर दर्द था और पता नहीं क्या क्या आ गया था कल मांइड में..सच में कुछ नहीं" - राशि ने कहा
"you know na मुझे ये नहीं पसंद है राशि..बात को ऐसे अधूरी छोड़ना, क्या बात है बताओ भी अब" - रोहन ने राशि से कहा
काफी देर तक रोहन राशि से पूछ्ता रहा और राशि ने उसको नहीं बताया फिर रोहन ने दोबारा नहीं पूछा, पूरा दिन यूँही बीत गया, न तो राशि ने कुछ कहा और ना ही रोहन ने कुछ पूछा। रात का डिनर जब दोनों ने साथ किया तो भी दोनों ने एक दूसरे से सिवाये 'दाल पकड़ाना, चपाती पास करना, राइस और लो' – के अलावा कुछ और नहीं कहा। रोहन को वजह नहीं मालूम थी इसलिए वो कुछ भी कहकर राशि को और गुस्सा नहीं करवाना चाहता था और दूसरी तरफ राशि को चिंता थी की जिस वजह से राशि ने कल ऐसे रियेक्ट किया वो अगर रोहन को बतायेगी तो कहीं रोहन को बुरा न लग जाए। खैर दोनों ही चुपचाप रहे।
रात हो चुकी थी, रोहन ने अपना काम ख़त्म किया ही था की उसने देखा की उसका ब्लैंकेट, पिलो सोफा पर नहीं है। रोहन को नींद नहीं आ रही थी इसलिए वो दूसरे रूम में बैठा पेंटिंग कर रहा था। वो राशि की लिखी एक पुरानी कविता पर एक पेंटिंग बना रहा था,
रात बहुत हो चुकी थी राशि ने जब देखा की रोहन बैडरूम में नहीं है तो वो बाहर रूम में आयी और रोहन को पेंटिंग करते हुए देखने लगी। रोहन को शिद्दत से अपने काम में लगे रहते देखना राशि को बेहद पसंद है, वो उसे देखकर मुस्कुरा रही है लेकिन रोहन की नज़र अभी राशि पर नहीं पड़ी है। राशि किचन में गयी और कॉफ़ी लेकर वापस आयी और रोहन को दि।
"Thank you" - रोहन ने राशि से कहा
राशि मुस्कुरा दी और वहीं पास में बैठकर उसको पेंट करते हुए देखने लगी। राशि ने कॉफ़ी का मग एक तरफ रखते हुए रोहन की बांह से लिपटते हुए उसके काँधे पर अपना सर रख दिया और उससे प्यार से कहा
"सॉरी"
रोहन उसकी गर्माहट महसुस कर पा रहा था की तभी राशि ने आगे कहा
"सच में मैं बेवकूफ़ हूँ जो वो सब सोचने लगी थी"
"वो...मतलब? क्या?" - रोहन ने सवाल किया
"ओह, फिर तुम हसोगे मुझपर..कुछ नहीं" - राशि ने कहा
"अरे बाबा बोलो न राशी" - रोहन ने फिरसे कहा,
"वो स्नेहा.." - राशि कहते-कहते रुक गयी
"स्नेहा? क्या स्नेहा" - रोहन ने पूछा
"वो...मुझे बस अच्छा नहीं लगा, कैसे वो पूरे टाइम तुम्हे देख रही थी, टच कर-करके जैसे वो बात कर रही थी तुमसे। साथ में उसका बॉयफ्रेंड था लेकिन फिर भी उसकी नज़र तुमपर ज़्यादा थी और जाते-जाते तुम्हे भी उसको हग करने की क्या ज़रूरत थी? इसी सबसे बस दिमाग में वो सब चल रहा था और न जाने क्या क्या सोचने लगी थी मैं, लेकिन मैं गलत थी ओवर-थिंक कर रही थी, I Know you are only mine"
उसकी ये बात सुनकर रोहन अपनी हंसी नहीं रोक पाया, राशि के भोलेपन और उसकी इस जलन में वो अपने लिए राशि का बेइन्तेहा प्यार महसुस कर पा रहा था।
"देखा कहा था न हसोगे तुम, गंदे हो बहुत" - राशि ने चिढ़ते हुए रोहन से कहा,
"बाप रे इतनी possessive हो राशि.. अरे बाबा वो बस एक दोस्त है उससे ज़्यादा कुछ भी नहीं और कभी हो भी नहीं सकती, मेरी ज़िन्दगी में सिर्फ हमारे लिए जगह है, न अकेले मेरे और न अकेले तुम्हारे – हमारे लिये। इतनी सी बात के लिए ऐसा रिएक्शन दिया कल तुमने और मैं न जाने क्या-क्या सोच रहा था की आखिर मैंने ऐसा क्या किया की तुम नाराज़ हो गयी...बुद्धु हो तुम बिलकुल, इतना तो भरोसा रखना था मुझपे न” – रोहन ने प्यार से समझाते हुए राशि से अपने दिल की बात कही,
“बिल्कुल है, खुदसे ज़्यादा भरोसा है, और वैसे भी नाराज़ होने का हक़ है बीवी का” – राशि ने अधिकार जताते हुए हँसकर कहा,
“जी बिलकुल है...ये देखो इसीलिए तुम्हारी कहानी के नायक को आज कम्पलीट कर दिया है मैंने” – रोहन ने पेंटिंग की तरफ इशारा करते हुए राशि से कहा,
राशि बड़े गौर से उस पेंटिंग को देख रही थी, बारीकी से देखते हुए वो याद कर रही थी अपनी उस कविता को जिसे चुनकर रोहन ने उसपर पेंटिंग करने का मन बनाया था, आज उसकी वो कविता मानो पूरी हो गयी हो। उस पेंटिंग को देखते हुए अचानक राशि की आँखें नम हो गयी और उसने रोहन से लिपटते हुए कहा
“आज तुमने मेरी उस अधूरी कविता में सब अच्छे रंग भरके उसे पूरा कर दिया रोहन..thank you so much”
रोहन ने मुस्कुरा कर राशि का माथा चूमा, दोनों ने अपना पसन्दीदा गीत सुनते हुए कॉफ़ी ख़त्म की।
गीत बज रहा था –
“कतरा कतरा पिघलता रहा आसमां
रुह की वादियों में न जाने कहा
एक नदी दिलरूबा गीत गाती रही
आपकी गर्म बाहों में खो जाएंगे
आपकी नरम ज़ानों पे सो जाएंगे
मुद्दतों रात नींदें चुराती रही”
- राहुल अभुआ 'ज़फर' ✍️
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